गीत चतुर्वेदी : मेरे पसंदीदा कवि की कुछ पंक्तियां

Raghvendra Pandey
2 min readNov 27, 2019

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वर्तमान हिंदी कवियों में मुझे गीत चतुर्वेदी बेहद ही पसंद है। उनकी कुछ कविताएँ कविता-कोश पर पढ़ने को मिली, जिससे प्रभावित होकर मैंने उनकी पुस्तक, ‘न्यूनतम मैं' को मंगाया। उस पुस्तक को पढ़ने के बाद, मैं गीत चतुर्वेदी का मुरीद हो गया। उनकी कविताएँ अंतर्मन को छूती हैं। उनकी कविताओं में सूक्ष्म संवेदनाओं की अभिव्यक्ति इतनी सफल तरीके से होती है कि पाठक उस कविता का एक अभिन्न अंग बन जाता है। नीचे मैंने उनकी कुछ पंक्तियाँ संकलित की हैं, जिसमें से ज्यादातर ‘न्यूनतम मैं' से है। आप लोग भी पढ़कर आनंद उठाइये।

१. प्रेम इस तरह किया जाये

कि प्रेम शब्द का कभी जिक्र तक न हो

२.प्रेम इस तरह किया जाये

कि दुनिया का कारोबार चलता रहे

किसी को खबर तक न हो कि प्रेम हो गया

खुद तुम्हे भी पता न चले

३.बचना प्रेम कथाओं का किरदार बनने से

वरना सब तुम्हारे प्रेम पर तरस खाएंगे

४.नींद, मृत्यु का दैनिक अभ्यास है

५.इतिहास गवाह है

जालिमों को अत्यन्त समर्पित प्रेमिकाएं मिलती हैं

६. तुम्हें जाना हो तो उस तरह जाना

जैसे गहरी नींद में देह से प्राण जाता है

७.माथा चूमना किसी की आत्मा चूमने जैसा है

८.सुनना एक तरह का न्याय है,

जिसे वे नहीं समझ सकते,

बोलने के उन्माद में

जिन्होंने किसी को नहीं सुना

९.बुद्धिमान लोगों की तरह बोलो

नहीं तो ऐसा बोलो जिससे आभास हो

कि तुम बुद्धिमान हो

१०.अधूरे वाक्य बेहद कारगर होते हैं

उनमें संभावनाओं के अनंत परागकण होते हैं

११.मैं आधी समझी गयी पंक्ति हूँ

अभी आधा काम बाक़ी है तुम्हारा

१२.तुम्हारे बालों की सबसे उलझी लट हूं

जितना खिंचूंगा उतना दुखूंगा

१३.दो पहाड़ियों को सिर्फ पुल ही नहीं जोड़ते, खाई भी जोडती है

१४.छूने की इच्छा करना भी तुम्हें छूना ही है

१५.कितना भी प्रेम कर लें,

एक शंका उसके समांतर चलती रहती है

१६.मैं वह शहर हूँ

जिसकी वर्तनी व उच्चारण बार-बार बदल देता

एक ताक़तवर राजा

१७.जैसे लौटकर आता है कर्मा

जैसे लौटकर आता है प्रेम

जैसे विस्मृति में भी लौटकर आती है

कहीं सुनी गई कोई धुन

बचपन की मासूमियत बुढ़ापे के

सन्निपात में लौटकर आती है

१८.मैं आसमान जितना प्रेम करता था तुमसे,

तुम चुटकी-भर

तुम्हारी चुटकी में पूरा आसमान समा जाता

१९.दुनिया बेसुरे संगीत से सम्मोहित है

और तुम मेरी छुअन से बुना गया मौन

२०.तुमने कहा प्रेम करना अभ्यास है

मैंने सारी शिकायतें अरब सागर में बहा दीं

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Raghvendra Pandey
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Written by Raghvendra Pandey

Interested In Poetry, Politics, History, Religion, Philosophy, Statistics and Data Science.

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